भारतेंदु हरिशचन्द्र एक युग पुरुष थे, जिन्होंने हिन्दी की सेवा में अपना जीवन दाव पर लगा दिया। उनके नाटकों में भारतीय संस्कृति का चरमोत्कर्ष देखने को मिलता है। उन्होंने नाटक, निबन्ध, कविता, लेख, जीवन-चरित्र आदि का निमार्ण किया लेकिन नाटककार के रूप में उन्हें बहुत सम्मान मिला। भारतेंदु से पहले भी हिंदी का सबसे प्राचीन नाटक हृदयराम कृत ‘हनुमन्नाटक’ माना जाता है। इसके बाद 1853 में नयाज कृत ‘शकंतला’ और 1862 में उर्दू कवि अमानत का ‘जानकी मंगल’ पाया जाता है पर इन सभी नाटकों में न तो नाटकीय तत्त्व ही विद्यमान था और न शब्द जाल ही प्रखर था।
जायसी सूफी संत थे और इस रचना में उन्होंने नायक रतनसेन और नायिका पद्मिनी की प्रेमकथा को विस्तारपूर्वक कहते हुए प्रेम की साधना का संदेश दिया है।