मध्य भारत के ग्रामीण विकास में मनरेगा की भूमिका

Registration Fee –  5500  per candidate
Duration – 1 Days
Date – 18 Aug 2013
End Date –
Venue -NEW DELHI

विश्व की सबसे बड़ी तथा महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना 2006 में आरंभ की गई। लागू होने के 6 वर्ष के भीतर इस योजना ने वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीर बदल डाली है। वर्ष 2010-11 के दौरान इस योजना के तहत 5.49 करोड़ परिवारों को रोजगार मिला है। इस योजना के द्वारा अब तक करीब 1200 करोड़ रोजगार दिवस का कार्य हुआ है। ग्रामीणों के बीच 1,10,000 करोड़ रुपये की मजदूरी वितरित की जा चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक प्रति वर्ष औसतन एक-चैथाई परिवारों ने इस योजना से लाभ लिया है। यह योजना सामाजिक समावेशन की दिशा में बेहतर सिद्ध हुई है। मनरेगा के द्वारा कुल कामों के 51 प्रतिशत कामों में अनुसूचित जाति जनजाति तथा 47 प्रतिशत महिलाओं को शामिल किया गया। मनरेगा में प्रति अकुशल मजदूर को 180 रुपये दिये जाते हैं। इसका प्रभाव व्यापक रूप से पड़ा है। निजी कार्यों के लिए भी पारंपरिक मजदूरी जोकि अपेक्षाकृत काफी कम थी, इसके प्रभाव स्वरूप बढ़ गई है। 

निश्चित रूप से मनरेगा केवल ग्रामीण रोजगार के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ है बल्कि इसने ग्रामीणों की सामाजिक- आर्थिक स्थिति को सुधारने का मौका भी प्रदान किया है।




 
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