निश्चित रूप से
मनरेगा न केवल
ग्रामीण रोजगार के लिए
लाभकारी सिद्ध हुआ है
बल्कि इसने ग्रामीणों
की सामाजिक- आर्थिक
स्थिति को सुधारने
का मौका भी
प्रदान किया है।
वर्ष 2006 में इस
कार्यक्रम की शुरूआत
से अब तक
सीधे ग्रामीण कामगार
परिवारों को मजदूरी
भुगतान के रूप
में 1,63,754.41 करोड़ रूपए की
राशि वितरित की
गई है। 1,657.45 करोड़
श्रम दिवसों के
रोजगार का सृजन
हुआ है।
- वर्ष 2008 से हर
वर्ष औसतन 5 करोड़
ग्रामीण परिवारों को मजदूरी
रोजगार प्राप्त हुआ
है।
- 31 मार्च,
2014 तक अनुसूचित जातियों और
अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी
48 प्रतिशत रही है।
कुल सृजित श्रम
दिवसों में महिलाओं
के श्रम दिवस
48 प्रतिशत रहे हैं।
- महिलाओं की यह
भागीदारी इस अधिनियम
में यथापेक्षित 33 प्रतिशत
की अनिवार्य सीमा
से काफी अधिक
है।
- इस कार्यक्रम की शुरूआत
से अब तक
इस अधिनियम के
अंतर्गत 260 लाख कार्य
शुरू किए गए
हैं। इस कार्यक्रम
की शुरूआत से
प्रति श्रम दिवस
औसत मजदूरी 81 प्रतिशत
बढ़ी है। अधिसूचित
मजदूरी दरें मेघालय
में न्यूनतम
153 रूपए से हरियाणा
में अधिकतम 236 रूपए
तक हैं।
- त्वरित और
पारदर्शी संचालन सुनिश्चित
करने के लिए
इलेक्ट्रानिक निधि
निगरानी प्रणाली (ईएफएमएस) और
इलेक्ट्रानिक मस्टर प्रबंधन
प्रणाली (ईएमएमएस) शुरू की
गई है।
- इनके अतिरिक्त कामगारों
के खातों में
आधार समर्थित प्रत्यक्ष इलेक्ट्रानिक अंतरण में
बैंकों और बिजनेस
कारेस्पेंडेंटों(बी.सी.)
के बीच कार्य
संचालन का प्रावधान
भी है।