Download Certificate
प्राचीन भारतीय धर्म, दर्शन तथा कला से प्रतीकों का घनिष्ठ संबंध रहा है। प्रतीक प्रस्तुत और स्थूल पदार्थ होता है जो
किसी अप्रस्तुत, सूक्ष्म भाव या अनुभूति का मानसिक आविर्भाव करता है। उदात और कोमल भावनाओं, दार्शनिक विवेचनाओं और आध्यात्मिक मान्यताओं को अत्यंत सरल, सुबोध और सुग्राह्य प्रतीकों के माध्यम से दर्शक के अन्तःकरण तक उतार देने का कार्य भारतीय कला ने किया है। ऐसे प्रतीकों में स्वास्तिक, श्रीवस्त, चक्र, वर्धमान, नन्द्यावर्त, पंचागुल, मीन-मिथुन, कलश, वृक्ष, दर्पण, पद्म, पत्र, हस्ति, सिंह, आसन, वैजयंती आदि अनेक नाम गिनाए जा सकते हैं। किन्तु इनमें से कुछ विशेष लोकप्रिय रहे है जैसे स्वस्तिक, पद्य, श्री लक्ष्मी आदि। इस लेख में भारतीय कला में प्रयुक्त प्रतीकों को कला में कुछ विशिष्ट प्रतीकों की ओर ही इंगित करना अभिप्रेत है।