बाल साहित्य का विकास

Registration Fee –  6500  per candidate
Duration – 1 Days
Date – 16 Mar 2011
End Date –
Venue -NEW DELHI

बाल साहित्य अपनी परिभाषा में वह सृजनात्मक अभिव्यक्ति है जो बाल मनोविज्ञान उसकी रुचि, ग्राह्य क्षमता, कल्पनाशीलता और बौद्धिक अनुभूति से पूरी सच्चाई एवं निष्ठा के साथ जुड़ा हुआ हो।
प्रेमचन्द जैसे कुछ कालजयी साहित्यकारों ने बच्चों के लिये अलग से न लिखते हुए भी, अपनी रचनाओं में जीवन के यथार्थ, मनोविज्ञान और आदर्श के संतुलित मिश्रण को इतने कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है कि वे न केवल बड़ों को सम्मोहित-उद्वेलित करती है, बल्कि बच्चों को भी अपने तिलस्म में बांध लेती है। साहित्य में ऐसा सृजन कौशल अर्जित कर पाने वाले दुर्लभ हैं।




 
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